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विवाद क्यों … कॉमनवेल्थ गेम्स थीम सांग !!!

कडुवा सच
कडुवा सच
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… पिछले कुछ दिनों से कॉमनवेल्थ गेम्स के थीम सांग पर उंगलियाँ उठ रही हैं … दो-तीन ब्लाग / वेबसाईट पर पढने को मिला … पढ़ कर मन में एक नया गीत / कविता लिखने की इच्छा हुई … लिखने का एक छोटा प्रयास किया  … इसे कविता अथवा गीत …  जो आपके समक्ष प्रस्तुत है आपकी प्रतिक्रया की आशा है … धन्यवाद …

आओ बढ़ें, चलो चलें
हम सब मिलकर खेल चलें

खेल भावना से खेलें
सरहदों को भूल चलें

खेल भावना हो हार–जीत की
सरहदों में न लड़ें – भिड़ें

हार जीत हैं खेल के हिस्से
पर हम खेलें, मान बढाएं

आओ बढ़ें, चलो चलें
हम सब मिलकर खेल चलें !

हर आँखों में बसे हैं सपने
खेल रहे हैं मिलकर अपने

न कोई गोरा, न कोई काला
जीत रहा जो, वो है निराला

जीतेंगे हम, जीत रहे हैं
मिलकर सब खेल रहे हैं

खेल खिलाड़ी खेल रहे हैं
खेल भावना जीत रही है

आओ बढ़ें, चलो चलें
हम सब मिलकर खेल चलें !

तुम खेलोगे, हम खेलेंगे
मान बढेगा, शान बढेगा

तुम जीतो या हम जीतें
एक नया इतिहास बनेगा

जीतेंगे हम खेल भावना
खेल भावना, खेल भावना

खेल चलें, चलो चलें
हर दिल को हम जीत चलें

आओ बढ़ें, चलो चलें
हम सब मिलकर खेल चलें !

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