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भईय्या एक प्रश्न कुछ दिनों से दिमाग में कुलबुला रहा है … मतलब आज तू फिर कोई झमेला खडा करने का मन बना के आया है … नहीं भईय्या, आप तो जानते हो मेरे पास जब कोई समस्या आती है तो मैं उसके समाधान के लिए आप के पास ही आता हूँ … चल चल वो सब तो ठीक है, बता क्या समस्या आ गई …
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… (सिर खुजाते हुए) भईय्या ये बताओ पत्रकार और साहित्यकार दोनों में बड़ा कौन होता है ? … मतलब आज तू ये तय करके आया है की आज से तू मेरा कबाड़ा करवा के ही रहेगा … क्यों भईय्या ऐसा क्यों बोल रहे हो ! … अब तू तो जानता है मैं ठहरा अदना–सा लेखक, कभी–कभार छोटी–मोटी कविता–कहानी लिख लेता हूँ, और तू पत्रकारों और साहित्यकारों के बारे में तुलनात्मक प्रश्न पूछेगा तो उत्तर मैं कहाँ से दे पाऊंगा, अगर तुझे पूछना ही है तो किसी स्थापित साहित्यकार या पत्रकार के पास जा, वह ही इस प्रश्न का सकारात्मक उत्तर दे पायेंगे …
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… भईय्या आप टालने की कोशिश कर रहे हैं … टालने की कोशिश नहीं कर रहा, सही कह रहा हूँ, इस प्रश्न का उत्तर मेरे पास नहीं मिल पायेगा … नहीं भईय्या मुझे पता है आप “कडुवा सच” लिखते हैं, आप के पास इस प्रश्न का उत्तर जरुर होगा और सटीक ही होगा … चल एक काम कर, तू तीन पत्रकार और तीन साहित्यकार के साथ एक–एक दिन गुजार व उनके सुख–दुख को महसूस कर, साथ ही साथ एक दिन तू खुद दोनों के बारे में एनालिसिस करना, फिर मेरे पास आना … ठीक है भईय्या, मैं आता हूँ …
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… एक सप्ताह के बाद … भईय्या जैसा आपने कहा वैसा कर के आ गया हूँ … ठीक है, अब तू मेरे चंद सवालों के जवाब अपने अनुभव के आधार पर देना … ठीक है भईय्या … ये बता दोनों में जलवा ज्यादा किसका है ? … निसंदेह पत्रकारों का, सारे अधिकारी–कर्मचारी, नेता–अभिनेता उनको सम्मान देते हैं, चाय–पानी, दारू–मुर्गा, गाडी–घोड़ा बगैरह, फरमाईस के हिसाब से पूरा कर देते हैं, और कुछ तो नगद–नारायण भी दे देते हैं, क्या जलवा है भईय्या मानना पडेगा …
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… अब ये बता सच्चे दिल से सम्मान के पात्र कौन हैं ? … (थोड़ी देर सोचने के बाद) भईय्या नि:संदेह साहित्यकार, मैंने देखा की उनको लोग अंतरआत्मा से मान–सम्मान देते हैं, कुछ लोग तो उनको पूजते भी हैं … वहीं दूसरी ओर पत्रकारों को कुछ लोग हीन भावना से देखते हैं, एक साहब ने तो एक पत्रकार को अदब से बैठाया, खिलाया–पिलाया और नगद नारायण रूपी चन्दा भी दिया, पर उसके जाने के बाद ही उसके मुंह से आह जैसी निकली, मुझे बड़ा अजीब–सा लगा …
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… अच्छा अब ये बता दोनों में हुनर किसके पास ज्यादा है ? … भईय्या अब हुनर का तो ऐसा है कि ‘हुनर‘ तो दोनों के पास है, दोनों ही कलम के जादूगर हैं, पर … पर क्या, बता खुल के संकोच मत कर … संकोच नहीं कर रहा भईय्या, सोच रहा था, ऐसा मेरा मानना है कि ‘हुनर‘ के मामले में साहित्यकार बीस (२०) तो पत्रकार सत्रह (१७) ही पड़ते हैं, साहित्यकार अनेक विधाओं में लिखने का माद्दा रखते हैं तो पत्रकार एक विधा में माहिर होते हैं, पर ओवरआल एक बात तो है पत्रकारों का जलवा ही कुछ और है …
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… लगता है तूने कुछ ज्यादा ही जलवा देख लिया है, अब ये बता कि यदि तेरे सामने पत्रकार या साहित्यकार बनने का विकल्प रखा जाए तो तू क्या बनना चाहेगा ? … भईय्या आप नाराज मत होना, मैं तो पत्रकार ही बनना पसंद करूंगा … मिल गया तुझे तेरे प्रश्न का उत्तर कि दोनों में बड़ा कौन है !… (सिर खुजाते हुए) नहीं भईय्या, आप तो मुझे ही मेरी बातों में उलझा दिए, ये मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है, उत्तर तो आपको देना पडेगा …
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… मतलब तय कर के ही आया है कि आज तू मुझे पत्रकारों व साहित्यकारों से भिडवा के ही दम लेगा, चल एक बात और बता, दोनों को लिखने अर्थात कलम घसीटी के बदले में आर्थिक रूप से क्या मिलता है ? … सीधा सा उत्तर है पत्रकारों को सेलरी मिलती है साथ ही साथ वो जलवा अलग है जो मैं अभी बता चुका हूँ , वहीं दूसरी ओर साहित्यकारों को लिखने के ऐवज में “ठन ठन गोपाल” … अब तो समझ गया कि बड़ा कौन है !… नहीं भईय्या, आप फिर से उत्तर मेरे ही सिर पे मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, ये सब तो सामान्य बातें हैं सभी जानते–समझते हैं, ये मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं है …
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… नहीं बताना है तो मत बताओ, मैं चला जाता हूँ होगा यही कि आपके दर से आज मैं निरुत्तर चला गया … अरे सुन, उदास मत हो, चल आख़िरी सवाल – ये बता तू व्यापारी आदमी है यदि तू दोनों को खरीदने निकले तो किसे खरीद सकता है अर्थात बिकने के लिए कौन तैयार खडा है ? … ( पंद्रह मिनट सिर खुजाते बैठा सोचता रहा, फिर उठा और उठकर सीधा भईय्या के पैर छूते हुए ) प्रणाम भईय्या, मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर मिल गया, धन्य हैं आप और आपका “कडुवा सच” … मैं सत सत नमन करता हूँ !!!
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