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… तालियोंकीगड–गडगडाहटकेसाथभाषणशुरू … राष्ट्र, राज्य, संभाग, जिलेकेसंचालक, पालनहार, प्रमुख, प्रधान, मठाधीशबगैरहबगैरह … दूसरेशब्दोंमेंइन्हेंएकआमइंसान “माई–बाप” कीसंज्ञादेताहै … इनकेहीभरोसेदेशचलरहाहैअर्थातइनकेहीहाथोंमेंबागडोरहै, येजैसाचाहेंवैसासंचालनकरेंगेऔरसंचालनकररहेहैं … बागडोरखिंचरहीहैऔरदेशचलभीरहाहैपर … अबयहाँयेपरकहाँसेआगया … परकाआनालाजिमीहैक्योंकिदेशचलतोरहाहैपरविकासदिखाईनहींदेरहा, विकासहोभीरहाहैतोकागजोंमें, फाइलोंमें … परभ्रष्टाचार, अनाचार, दुराचार, शोषण, कालाबाजारी, मिलावटखोरी, मारामारी, सार्वजनिकअर्थातजगजाहिरहै।
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यहखेलकोईलुके–छिपेनहींचलरहावरनखुल्लम–खुल्लाचलरहाहै … चलभीइसलिएरहाहैक्योंकिसभीमिलकरचलारहेहैं, जिसकामकोसिस्टमकेसभीमठाधीशमिलकरचलायेंभलाउसेकोईकैसेरोकसकताहै, अगरकोईरोकनेकादुस्साहसकरेभीतोक्याफर्कपड़ताहै … वहदुस्साहसकरसमाधानकेलिएकिसीनकिसीकेसामनेतोजाएगा, अबजिसकेसामनेजाएगा … वहभीउसीसिस्टमकाहिस्साहै, आश्वासनमिलेगाऔरमिलतेरहेगा … इतनीदेरतकआश्वासनमिलतेरहेगाजबतकदुस्साहसीकासाहसठंडानपड़जाए … येतोसभीजानतेहैंकिजबजोशठंडापड़जाताहैतोइंसानबड़े–से–बड़ेगुनाहको – गुनाहगारकोमाफ़करदेताहै, यहएकमानवीयनेचरहै।
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समस्या, समस्याकेखिलाफआवाज, समाधानकेलिएआश्वासनपरआश्वासन … देर–सबेरसमस्याओंकाठंडाबस्ता, आखिरकबतकठंडाबस्ताबनतारहेगा, कबतकआमनागरिकोंकीआवाजसिस्टमकेलचर–पचर, लुंज–पुंजरबईयेमेंगुमहोतेरहेगी … लोकतंत्र, प्रजातंत्र, जनतंत्रकाक्यायहीमतलबहैकिचलनेदो, चलनेदो, जोचलरहाहैउसेचलनेदो … आखिरकबतकयहरबैय्याचलतारहेगा, कबतकहमलोकतंत्रकीचक्कीमेंपिसतेरहेंगे … याफिरकिसीदिनजिनकेहांथोंमेंलोकतंत्रकीबागडोरहैवेखुदहीलोकतंत्रकीगिररहीगरिमाकोसंभालेंगे … परऐसाकबहोगा … क्याहमसच्चेलोकतंत्रकोदेखपायेंगे !!!
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… ( फोनकीघंटीबजी … नींदसेजागतेहुए … तकियेसेमुंहनिकालतेहुए … कालरआई–डीपरनंबरदेखतेहुए ) … हाँभईय्याप्रणाम … क्योंशामकोपांचबजेतूसोरहाहै … सोरहाहूँ , नहींभईय्यामैंतोभाषणदेरहाथा … कहाँभाषणदेरहाहैतेरीआवाजसुनकरतोऐसालगरहाहैजैसेबिस्तरपरपडाहैऔरनींदमेंहै … नहींभईय्यामैंतोदिल्लीमेंगांधीआडिटोरियमहालमें “लोकतंत्र” परभाषणदेरहाथा … होशमेंआदोघंटेपहलेतोतूमुझसेमिलकरगयाहैफिरदिल्लीकैसेपहुँचजाएगा … ( भईय्याकीबातेंसुनकरकरेंटसाआया … खुदकोझंकझोरतेहुएदेखातोघरकेबिस्तरपरदेखा ) … अरेभईय्याआपसचकहरहेहोशायदमैंसपनादेखरहाथा … मतलबअबतुमसपनेमेंभीगुलखिलानेलगेहो … नहींभईय्या, आजसपनाहीसहीकलहकीकतमेंहोगा, आजमैंने “लोकतंत्र” परजोभाषणदियाहैअच्छे–अच्छोंकीबैंडबजाकररखदीथी, मगरअफसोसयेसबसपनेमेंचलरहाथा …खैरकोईबातनहींतूनिराशमतहोमुझेपताहैतूएकदिन “लोकतंत्र ” कासच्चारूपसामनेलाकरहीरहेगा … हाँभईय्याएकदिनऐसाहीहोगाजयजयलोकतंत्र … जयजयलोकतंत्र !!!
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