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चमचागिरी

कडुवा सच
कडुवा सच
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एक दिन अचानक कप्तान साहब गुस्से-गुस्से में सरप्राईस चेक हेतु एक थाने में गुस गये और “सरप्राईस चेकिंग” करने लगे, थानेदार भौंचक्का रह गया … सोचने लगा आज तो नौकरी गई … फ़ाईल-पे-फ़ाईल … पेंडिग-पे-पेंडिग … शिकायत-पे-शिकायत … कप्तान साहब भडकने लगे … किसने तुझे थानेदार बना दिया … क्या हाल कर रक्खा है थाने का … कुछ काम नहीं करता है …. स्टेनो को आदेश देते हुये इसका सस्पेंशन आर्डर कल सुबह ११ बजे मेरी टेबल पर होना चाहिये … गुस्से में उठने लगे … तभी थानेदार ने सीधे पैर पकड लिये … माफ़ करो हुजूर आपका बच्चा हूं … आईंदा से ऎसी गल्ती नहीं होगी … पैर छोड ही नहीं रहा था …तब कप्तान साहब गुस्से में दूसरे पैर से एक लात उसके पिछवाडे में जडते हुये चिल्लाये छोडो पैर को … थानेदार उचट के गिर पडा … थानेदार संभल कर खडा हुआ … कप्तान साहब जाने लगे और गाडी में बैठ गये … थानेदार ने सल्यूट मार कर विदा किया …

… थानेदार वापस आकर अपने चैंबर में सिर पकड कर बैठ गया सोचने लगा आज तो नौकरी गई कल सुबह सस्पेंड हो जाऊंगा … सारे स्टाफ़ को सामने बुला कर भडकने लगा तुम लोग कुछ काम-काज करते नहीं हो, तुम्हारी बजह से आज मेरी बैंड बज गई और कल सुबह सस्पेंड होना भी तय है … मुंह लगा एक मुंशी बोला साहब – कल सुबह सीधे कप्तान साहब के बंगले पर पहुंच जाओ, पैर पकड लेना साहब और मैमसाहब दोनों के, कुछ दुखडा-सुखडा सुना देना … थानेदार रात भर करवट बदल-बदल कर उपाय सोचने लगा … उपाय भी मिल गया …

… दूसरे दिन सुबह साढे-नौ बजे कप्तान साहब के बंगले पर … साहब के पैर पडे, मैमसाहब के पैर पडे और मिठाई का डिब्बा भेंट करने लगा … कप्तान साहब गुस्से में … क्या है, क्यों आया है … हुजूर माई-बाप आपका आशिर्वाद लेने आया हूं … पिछले चार-पांच साल से कमर दर्द से परेशान था अच्छे-से-अच्छे डाक्टर को दिखाया ठीक ही नहीं हो रही थी … कल आपने जो लात मारी, उससे तो “चमत्कार” ही हो गया हुजूर कमर का दर्द रफ़ू-चक्कर हो गया … आपने मुझे नया जीवन दिया है … अब मैं सारा जीवन आपकी सेवा में गुजारना चाहता हूं … चल – चल बहुत हो गया, इस बार तो तुझे माफ़ कर देता हूं … जा अच्छे से काम करना … जी माई-बाप !!!

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