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… … … उखाड़ लो, जो उखाड़ सकते हो !!!

कडुवा सच
कडुवा सच
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मैंभ्रष्टहूँ, भ्रष्टाचारीहूँ
जाओ, चलेजाओ
तुममेरा, क्याउखाड़लोगे !
चलेआये, डराने, डरताहूँक्या !
गए, डराने, उनकाक्याकरलिया
जोपहलेसबकीमारमारकर
धनियाबोऔरकाटकरचलेगए !

चलेआयेमुंहउठाकर
नईनवेलीदुल्हनसमझकर
आओदेखो, देखकरहीनिकललो
अगरज्यादातीनपांचतेरहकी
तोमैंपांचतीनअठारहकरदूंगा !
फिरघरपेखटियापरबैठ
करतेरहनाहिसाबकिताब !

समझेयानहींसमझे
चलोफूटो, फूटो, निकललो
जोपटासकतेहो, पटालेना
जोबनसकेउखाड़लेना !
मेरेसाब, उनसेबड़ेसाब
औरउनकेभीसाब
सबकेसबखूबधनियाबोरहेहैं
क्याकभीउनकाकुछउखाड़पाए !

चलेआयेमुंहउठाकर
मुझेसीधासादासमझकर
फिरभीकरलोकोशिश
कुछपटानेकी, उखाड़नेकी !
शायदकुछमिलजाए
नहींतो, चुपचापचलेआओ
दंडवतहो, नतमस्तकहोजाओ
कुछकुछदेतारहूंगा
तुम्हाराभीखर्चउठातारहूंगा !

क्यों, क्यासोचतेहो
हैविचारदंडवतहोनेका
गुरुचेलाबननेका
कभीतुमगुरु, कभीहमगुरु
कभीहमचेला, कभीतुमचेला
याफिर, हेकड़ीमेंहीरहोगे ?
ठीकहै, तोजाओ, चलेजाओ
उखाड़लो, जोउखाड़सकतेहो !!!

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