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नया साल शुभा-शुभ हो, खुशियों से लबा-लब हो !!

कडुवा सच
कडुवा सच
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नया साल शुभा–शुभ हो, खुशियों से लबा–लब हो
न हो तेरा, न हो मेरा, जो हो वो हम सबका हो !!

नव वर्ष के अभिनंदन में,
हम-तुम मिल कर वचन करें,
कदम से कदम मिला कर ही,
हम-तुम मिल कर कदम चलें,

न हों बातें तेरी-मेरी,
न हो बंधन जात-धर्म का,
न हो रस्में ऊंच-नीच की,
न हो बंधन सरहदों का,
न हो भेद नर और नारी में,

हो तो बस एक खुला बसेरा,
बिखरी हो फूलों की खुशबू,
रंग-रौशनी छाई हो,

बाहों में बाहें सजती हों,
कंधों संग कंधे चलते हों,
नर और नारी संग बढते हों,
जन्मों में खुशियां खिलती हों,

धर्म बना हो राष्ट्रमान,
कर्म बना हो समभाव,
नव वर्ष का अभिनंदन हो,
धर्म-कर्म का न बंधन हो,

खुशियां-खुशबू, रंग-रौशनी बिखरी हो,
गांव-गांव, शहर-शहर,
हर दिल – हर आंगन में,
नव वर्ष के अभिनंदन में,

मान बढा दें, शान बढा दें
चेहरे-चेहरे पे मुस्कान खिला दें,
हम-तुम मिलकर
वचन करें – कदम चलें,
नव वर्ष के अभिनंदन में !!

… सभी साथियों को नव वर्ष की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं !!

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