Menu
blogid : 2842 postid : 612480

भारत-पाक रिश्तों पर आतंकी साया !

कडुवा सच
कडुवा सच
  • 97 Posts
  • 139 Comments
अगर हम देखेंगे तो विश्व के मानचित्र पर भारत व पाक रूपी देशों के चित्र एक ही दिन उकेरे गए साफ़ साफ़ नजर आ जायेंगे, नजर आयें भी क्यूँ नहीं जब दोनों ही मुल्कों का जन्म एक ही दिन हुआ हो, यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मुल्कों के निर्माण के पूर्व दोनों की फिजाएँ एक थीं, दोनों के खलियान एक थे, दोनों के पंचायती चबूतरे एक थे, दोनों के तीज-त्योहारों पर लगने वाले मंजर एक थे, गर थोड़ा बहुत कुछ अलग था तो इबादत का ढंग व वेश-भूषा अलग थी लेकिन इसके बाद भी दोनों के दिलों की धड़कनें एक थीं, प्रेम की राह एक थी, अमन का सन्देश एक था।
.
अब सवाल यहाँ यह उठता है कि मुल्कों के विभाजन अर्थात निर्माण के बाद ऐसा क्या हुआ कि दोनों मुल्कों की सोच व विचारधाराएँ बदल गईं ? आज यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि आज भारत-पाक रिश्ते अपने आप ही सांप-सीढ़ी के खेल की तरह हो कर रह गए हैं, दोनों ओर से जैसे ही मधुरता की राह में दो-एक चालें चली जाती हैं ठीक वैसे ही आतंकवाद रूपी सांप फुफकारने लगता है तथा एक-दो आतंकी घटना रूपी जहर उगल कर अपना काम कर चला जाता है परिणामस्वरूप दोनों देश पुन: शून्य पर जा पहुंचते हैं, अब यहाँ सवाल यह उठता है कि क्या भारत-पाक रिश्तों पर सचमुच आतंकवाद साया बन के मंडरा रहा है ?
.
इस सवाल के जवाब में ज्यादातर लोगों की राय होगी कि – हाँ, आतंकवाद साया बन कर मंडरा रहा है, लेकिन मैं व्यक्तिगत रूप से इस राय से पूर्णरूपेण इत्तफाक नहीं रखता हूँ, इत्तफाक नहीं रखने की एक छोटी-सी वजह यह है कि हम अर्थात दोनों देश अमन, चैन व मुहब्बत के लिए इतनी कमजोर शुरुवात करते ही क्यूँ हैं कि आतंकी घटनाएँ उनमें बाधक बन कर खड़ी हो जाएँ, हमें एक ठोस व गंभीर शुरुवात करने की जरुरत है जिसे आतंकी डगमगा न सकें, हमारे मंसूबों पर पानी न फेर सकें, यहाँ मैं यह भी कहना चाहूँगा कि आतंकी इतने मजबूत नहीं है कि दोनों मुल्क अपनी अपनी सरहदों के अन्दर इनके जहरीले फन को कुचल न सकें !
.
खैर, मेरा मानना है कि वह दिन भी आयेगा जब दोनों मुल्क मधुरता, मुहब्बत व अमन के लिए न सिर्फ एक ठोस व गंभीर शुरुवात की नींव रखेंगे वरन उस नींव पर निसंदेह एक मुहब्बत रूपी खूबसूरत इमारत का निर्माण भी होगा, आज दोनों ही मुल्कों को जरुरत है पारदर्शिता व निष्पक्षतापूर्ण सोच व विचारधारा की, एक सकारात्मक व दूरदृष्टिपूर्ण शुरुवात की, लेकिन इस शुरुवात के लिए दोनों ही ओर से जिंदादिल व मुहब्बत पसंद हुक्मरानों की जरुरत है जिनके जेहन में छल व प्रपंच रुपी तरंगे न हों अगर कुछ हो तो अमन व चैन रूपी गुलाब की खुशबू हो, आज हम यही कामना करते हैं कि शीघ्र ही सरहदों पर अमन हो, दिलों में मुहब्बत हो, आमीन !!

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh