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चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका !

कडुवा सच
कडुवा सच
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कुछ वर्ष पहले हमने टेलीविजन का दौर देखा था जो कहीं धीरे-धीरे तो कहीं तेजगति से शहरों से गाँवों तक पहुंचा था, ठीक उसी प्रकार आज हम शहर-शहर व गाँव-गाँव तक फेसबुक, ब्लॉग, ट्विटर, वेबसाईट, मेल, इत्यादि का दौर देख रहे हैं, कंप्यूटर व इंटरनेट का दौर देख रहे हैं, इनका भरपूर उपयोग देख रहे हैं, उपयोग करने वालों को देख रहे हैं। आज इंटरनेट का दौर, फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, इत्यादि का दौर न्यू मीडिया के नाम से जाना व पहचाना जा रहा है, जो अपने आप सोशल मीडिया के रूप में स्थापित होते जा रहा है। आज यह कहना अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगा कि जहां प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के संवाददाता नहीं हैं वहां भी सोशल मीडिया का अस्तित्व बखूबी नजर आ रहा है। पल-पल की छोटी-बड़ी खबरें आज सोशल मीडिया पर देखी जा सकती हैं, और तो और वे खबरें भी देखी व पढी जा सकती हैं जो प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया की नज़रों से चूक जा रही हैं, या फिर जिनकी प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया जानबूझकर अनदेखी कर रहा है। आज के आधुनिक दौर में कोई भी खबर न तो दबी रह जाए और न ही दबा दी जाए, इसलिए सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रानिक मीडिया में निरंतर कॉम्पीटिशन बना रहे, चलता रहे।
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सोशल मीडिया के बर्चस्व में आने से प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया भी संशय में रहता है कि कहीं कोई खबर उनकी नजर से चूक न जाए और फिर वही खबर कुछ देर बाद सोशल मीडिया के चलते सनसनी अर्थात चर्चा-परिचर्चा का विषय बन जाए। निसंदेह आज सोशल मीडिया ताजा-तरीन खबरों के मामले में प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है, कभी कभी तो ऐसे नज़ारे भी देखने को मिल रहे हैं जब प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया को सोशल मीडिया के सहारे से आगे बढ़ना पड रहा है। वैसे, आज का दौर आधुनिकता का दौर है, नई तकनीक का दौर है, इसलिए मीडिया के किसी भी फारमेट को किसी से कम या ज्यादा आंकना न्यायसंगत नहीं होगा क्योंकि सबका अपना अपना दायरा है, अपनी अपनी पहचान है, न तो कोई छोटा है और न ही कोई बड़ा है, सब श्रेष्ठ हैं, सबकी अपनी अपनी अलग अहमियत है। अगर आज हम किसी को ज्यादा महत्त्व देंगे और किसी को कम तो यह हमारी ही मूर्खता होगी क्योंकि खबरें छोटी-बड़ी नहीं होती हैं, खबरें तो सिर्फ खबरें होती हैं, एक ओर एक खबर किसी के लिए साधारण हो सकती है तो दूसरी ओर वही खबर किसी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
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संभव है आधुनिकता व तकनीक के इस दौर में कल कोई और नया माध्यम मीडिया की शक्ल में सामने आ जाए जो इन सबको पीछे छोड़ कर आगे निकल जाए। लेकिन, फिर भी, हम तो यही आशा करते हैं और आशा करेंगे कि मीडिया की भूमिका आज समाज व राष्ट्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और आगे भी रहेगी इसलिए मीडिया के वर्त्तमान सभी स्वरूप व भविष्य में आने वाले स्वरूप सभी अपने अपने कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता व पारदर्शिता से करते रहें, समाज व राष्ट्र के विकास व उज्जवल भविष्य के निर्माण में अपना सकारात्मक योगदान देते रहें। इसमें दोराय नहीं है कि आज का दौर कदम कदम पर मीडिया के लिए परीक्षा का दौर है, आज उन पर पेड न्यूज, दलाली, पक्षपातपूर्ण रवैय्या व उपेक्षापूर्ण व्यवहार जैसे गंभीर आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं। इस संवेदनशील व गंभीर दौर से जल्द से जल्द वर्त्तमान मीडिया को बाहर निकलना पडेगा, एक नई पहचान व नई दिशा की ओर रुख करना पडेगा, एक नई साख स्थापित करने की दिशा में विचार-मंथन को महत्त्व देकर नए स्वरूप को स्थापित करना पडेगा। नए स्वरूप में कहीं भी पेड न्यूज, पक्षपातपूर्ण रवैय्या व उपेक्षापूर्ण आचरण का कोई स्थान न हो, निष्पक्षता व पारदर्शिता का बोल-बाला हो, जहां इमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा चरम पर प्रमुखता से नजर आये।
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आज सोशल मीडिया का मानव जीवन व समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है इसलिए इसमें दोराय नहीं है कि आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रहेगी, न सिर्फ चुनावी नतीजों के दौरान वरन सम्पूर्ण चुनाव के दौरान सोशल मीडिया की भूमिका प्रभावी नजर आयेगी। आज लगभग सभी राजनैतिक दल सोशल मीडिया पर बखूबी नजर आ रहे हैं, वह दिन दूर नहीं जब राजनैतिक दलों का राजनैतिक दंगल सोशल मीडिया पर भी जोर-शोर से नजर आये। मैं आशा करता हूँ कि सोशल मीडिया अर्थात न्यू मीडिया आगामी दिनों में अपनी भूमिका व संवेदनशीलता के महत्त्व को समझते व बूझते हुए सकारात्मक स्वरूप व भूमिका में नजर आये। आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों में इंटरनेट, फेसबुक, ट्विटर, ब्लॉग, वेबसाईट, मेल, इत्यादि रूपी सोशल मीडिया अर्थात न्यू मीडिया एक ऐसी मिशाल पेश करे जो अपने आप में मीडिया के इतिहास में मील का पत्थर साबित हो। सोशल मीडिया का एक ऐसा रूप आकार ले जिसकी सराहना, उपयोगिता, महत्ता व जरुरत से कोई पीछे न रहे, जिसकी प्रशंसा से कोई पीछे न रहे, जिसके सहयोग से कोई अछूता न रहे। आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनावों के दौरान सोशल मीडिया एक ऐसे स्वरूप में नजर आये जो समाज व राष्ट्र के सभी स्वरूपों की मददगार व सहायक सिद्ध हो, खासतौर पर लोकतंत्र को गौरवान्वित करे।

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