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सचमुच … सचिन एक सच्चे भारत रत्न हैं !

कडुवा सच
कडुवा सच
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सचिन ने जिस मुकाम से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है शायद उस मुकाम का सचिन ने भी सपना नहीं देखा रहा होगा … वंडरफुल विदाई … अलविदा सचिन … शुक्रिया … शुभकामनाएँ … मित्रों, यहाँ मैं यह स्पष्ट कर देना उचित समझता हूँ कि मैं न तो सचिन तेंदुलकर का ब्लाइंड सपोर्टर हूँ, और न ही मैं उनका फैन हूँ … और हाँ, आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि विगत कुछ साल पहले जब भारत वर्ल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट के क्वालीफाई मैचों के दौरान बंगलादेश से हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गया था उस समय से मैंने क्रिकेट देखना भी बंद कर दिया है … वह दिन है और आज का दिन है … सिर्फ और सिर्फ सचिन तेंदुलकर के विदाई मैच के वे अंश ही मैंने दिल से देखे हैं जिनमें सचिन बैटिंग कर रहा था … एक समय क्रिकेट को लेकर दीवानगी मेरे अंदर भी उतनी ही समाई हुई थी जितनी आज किसी युवा क्रिकेटर के जेहन में होगी … आज मेरे जेहन में क्रिकेट के प्रति दीवानगी न सही, जुनून न सही, सचिन का सपोर्टर न सही, फैन न सही, … फिर भी, आज मैं उन्हें बधाई भी दूंगा … और शुभकामनाएँ भी दूंगा … क्योंकि सचिन उसके सच्चे हकदार हैं।
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सचिन का भारतीय व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जो योगदान है वह निसंदेह प्रशंसनीय है, अतुलनीय है … यदि आज मैं या हम … उनके योगदान को, उनकी विदाई को, उन्हें मिल रहे भारत रत्न सम्मान को उत्साह व गौरव की नजर से न देखते हुए आलोचना की नजर से देखेंगे तो फिर शायद ही हम कभी किसी भी व्यक्ति या व्यक्तित्व की प्रशंसा कर पाएं ? … आज वे क्षण नहीं हैं जब हम इस बात को लेकर चर्चा करें कि खेल जगत से ध्यानचंद भारत रत्न के प्रथम हकदार थे, उन्हें सचिन से पहले भारत रत्न मिलना चाहिए था, उनका योगदान खेल जगत में सचिन से ज्यादा था, बगैरह-बगैरह … अगर आज हम इस तरह के तरह-तरह के सवालों में उलझ कर रह जायेंगे तो सम्भवत: हम सिर्फ एक आलोचक बन कर ही रह जायेंगे ? … आज हमारे समक्ष सवाल यह नहीं है कि कौन पहले और कौन बाद में ? … आज समय है एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी को मिल रहे सम्मान की प्रशंसा का, बधाई का, शुभकामनाओं का … और इसके लिए हमें अग्रणी रहना चाहिए, आलोचनाओं से परे रहना चाहिए ।
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किसे भारत रत्न मिलना चाहिए और किसे नहीं … इसके निर्धारण का अधिकार सरकार के पास है न कि हमारे पास … यदि समयानुकूल सम्मान देने में सरकार से चूक हुई है या हो रही है तो इसके लिए आलोचना सरकार की होनी चाहिए न कि सम्मान प्राप्त करने वाले व्यक्ति की ? … खैर, यह एक गम्भीर विषय है जिस पर निरंतर चर्चा चलते रहेगी … पर हमें, आज इस चर्चा में नहीं पड़ना है क्योंकि आज क्रिकेट जगत के एक अत्यंत प्रतिभाशाली खिलाड़ी के अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई के उपरांत के क्षण हैं, उन्हें मिल रहे देश के सर्वोच्च सम्मान पर प्रशंसा के क्षण हैं … सचिन तेंदुलकर के रोमांचक खेल व क्रिकेट में उनके योगदान की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम होगी … यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि सचिन विदाई के अंतिम क्षणों में जिस धैर्य के साथ खेल रहे थे उसने उनकी विदाई को और भी रोमांचक बना दिया था … खेलों में रिकार्ड तो टूटते-बनते रहते हैं लेकिन सचिन का यह रिकार्ड शायद कभी न टूटे कि वे कई दसकों तक क्रिकेट जगत से जुड़े युवाओं के प्रेरणास्रोत रहेंगे … सचिन सचमुच एक सच्चे भारत रत्न हैं उन्हें मिल रहा भारत रत्न सम्मान उनके धैर्य, एकाग्रता व समर्पण का प्रतिफल है … उन्हें बधाई व शुभकामनाएँ … !

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